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Aditya Yadav

Others

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Aditya Yadav

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ओ स्त्री मत आना।

ओ स्त्री मत आना।

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दे रहा है संदेश रात का

अंधकार चारो तरफ है फ़ैला 

लौट जा अपने घर को तू

ना जाने कितनों का मन है मैला।


मत मांग तु मदद किसी से 

इन गिरगिटों की नगरी में,

रात में दिखे रंग अलग ये 

अलग दिखे दोपहरी में ।


खुदा ना खास्ता गलत हुआ जो 

ये समाज तुझे ही बोलेगा 

तेरे कपड़े, चरित्र और आदतों की

अब नई सच्चाई ये खोलेगा।


घूम रहे चौकीदार चारो ओर 

पर आंख से वो तो अंधे हैं

नाम पे तेरे वो मोमबत्ती जलाएंगे

ये तो उनके रोज़ के धंधे हैं।


अपनी रक्षा तुझे खुद ही करनी है

पास में रखना एक हथियार तू 

ना जाने कब चलाना पड़ जाए

चलाने को रहना तैयार तू।


घर पहुंच गई जो तू सही से 

तो फिर कभी ना वो राह दोहराना 

इन भेड़ियो की बस्ती में फिर 

ओ स्त्री मत आना ,

ओ स्त्री मत आना ।


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