My Scholars
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ये कहानी उस मासूम की है
जो धैर्य व भोलेपन का साया था,
छोटी सी उम्र में ही उसने इतना बड़ा बोझ उठाया था
उसके अपनों ने ही उसका दिल बड़ी बेहरमी से दुखाया था।
अब उसका एक मात्र सपना "स्कॉलर" कहलाया था।
धीरे-धीरे उसका काम हर एक को भाया था
जब एक बच्चा था स्कूल में उसका मन बहुत घबराया था
पन्द्रह बच्चों के एडमिशन ने उसका धीरज बढ़ाया था।
ये मेरे गुरु वैभव की कहानी है,
जो मेरी मुँह जुबानी है,
ये उसके जीवन की कुर्बानी है,
जो मेरे शब्दो के माध्यम से सबको सुनानी है,
बस है इतनी सी चाहत बच्चों का भविष्य संभल जाए ।
डर बस इतना है कि कहीं उसके मेहनत करने की आदत न बदल जाए।।
