मुक्तक
मुक्तक
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कभी दिल्ली, कभी गुजरात
वो भोपाल लगता है
कभी शिमला, मसूरी
और नैनीताल लगता है
हमसे रूठकर परसों तो वो
धरने पे जा बैठा,
मुझे महबूब भी मेरा तो
केजरीवाल लगता है !