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किशोर राजवर्धन

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किशोर राजवर्धन

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महफ़िल यारों

महफ़िल यारों

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आज जमी हैं महफ़िल यारों की,

खोल के दिलों का दर्द सारों की,

अंदाज अलग हैं हर एक के,

मगर मंजर एक हैं हर दर्द का..


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