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HITENDRA KUMAR

Others

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HITENDRA KUMAR

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मेरी माता संस्कृत

मेरी माता संस्कृत

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सहज, सरल, निष्कलंक, पावन,

मेरी माता संस्कृत है महान।

राजा, रंक न कोई सिपाही,

देव न दानव कर सके बखान ॥


समाहित तुझमे चतुर्वेद, त्रिभुवन,

अष्टधातु ,नवग्रह ,त्रिकाल।

वंदन करे सदा चतुरानन,

मेरी माता संस्कृत है महान ॥


गिरिधर करे नित्य अभिषेक,

तू यशप्राप्त, तू निर्विकार।

मनोहर, गुणयुक्त तू निर्विवाद ,

मेरी माता संस्कृत है महान॥


उपासक तेरे है दशानन ,

किससे करूँ तेरा उपमान।

तू शाश्वत,तुझमे सूर्य सा प्रताप ,

मेरी माता संस्कृत है महान॥


संस्कृत है भारत की शान,

राष्ट्र को तुझ पर अभिमान।

तू देवालय,निर्मल,आनंदाश्रम ,

मेरी माता संस्कृत है महान॥


शरणागत है रणधीर, कलाप्रवीण,

कविश्रेष्ट करें आमरण ध्यान।

करें पुरुषोत्तम तेरी महिमा गान,

मेरी माता संस्कृत है महान॥


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