मेरी माता संस्कृत
मेरी माता संस्कृत
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सहज, सरल, निष्कलंक, पावन,
मेरी माता संस्कृत है महान।
राजा, रंक न कोई सिपाही,
देव न दानव कर सके बखान ॥
समाहित तुझमे चतुर्वेद, त्रिभुवन,
अष्टधातु ,नवग्रह ,त्रिकाल।
वंदन करे सदा चतुरानन,
मेरी माता संस्कृत है महान ॥
गिरिधर करे नित्य अभिषेक,
तू यशप्राप्त, तू निर्विकार।
मनोहर, गुणयुक्त तू निर्विवाद ,
मेरी माता संस्कृत है महान॥
उपासक तेरे है दशानन ,
किससे करूँ तेरा उपमान।
तू शाश्वत,तुझमे सूर्य सा प्रताप ,
मेरी माता संस्कृत है महान॥
संस्कृत है भारत की शान,
राष्ट्र को तुझ पर अभिमान।
तू देवालय,निर्मल,आनंदाश्रम ,
मेरी माता संस्कृत है महान॥
शरणागत है रणधीर, कलाप्रवीण,
कविश्रेष्ट करें आमरण ध्यान।
करें पुरुषोत्तम तेरी महिमा गान,
मेरी माता संस्कृत है महान॥