मेरी मां ,'कुसुम'
मेरी मां ,'कुसुम'
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मां तू 'कुसुम', मैं तेरी 'बुलबुल'!,
तू जो खिली, तो मुझे पहचान मिली!
मैंने जो पंख फैलाये, तो छूटी तेरी बगिया,
तू जो मुरझाती, तो बिखर गई मेरी दुनिया!!