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Lavina Agrawal

Others

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Lavina Agrawal

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मेरी मां ,'कुसुम'

मेरी मां ,'कुसुम'

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मां तू 'कुसुम', मैं तेरी 'बुलबुल'!,

तू जो खिली, तो मुझे पहचान मिली!

मैंने जो पंख फैलाये, तो छूटी तेरी बगिया,

तू जो मुरझाती, तो बिखर गई मेरी दुनिया!!



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