मेरी कलम
मेरी कलम
हमने हवाओं से ये सौगात कर रखी है,
फिजाओं से घटाओं से तुम्हारी बात कर रखी है,
और हम फकीरों से हमारे जज़ीरे ना पूछ,
जितनी तेरी औकात है उतनी खैरात कर रखी है।
बहुत मन है उसे जानने का जो
बनाते वक़्त तुम्हारे मन में आया होगा,
कोई हसीन मंजर देखा होगा उसने या
कोई नूरानी चेहरा उसकी आँखों में समाया होगा,
और ऊपर वाला तुम को बना सके
ऐसी कलाकारी उसमें कहाँ ,
उसने जरूर तुम्हें कहीं से चुराया होगा।
मेरी कब्र पर आते है अपने महबूब के साथ,
कौन कहता है के दफ़नाने के बाद जलाया नहीं जाता।
कोई इंसान जब दिल से उतर जाता है,
फिर वो सामने ही क्यों ना हो वो नज़र नहीं आता।
बहुत गहरी लाइन है ,
जो सदियों से बदनामी का बोझ सहन कर रही थी,
आज वो ही सभी के हाथ धो रही है।
मलाल ये है के ये दोनों हाथ मेरे है ,
किसी की चीज़ किसी से छुपानी पड़ती है,
और एक आग सीने में बरसों से जल रही है मेरे,
इसे शराब से अक्सर बुझानी पड़ती है।
मैं इश्क़ वालों के जुनून सा,
वो हुस्न वालों के ख़्वाब हैं,
मैं एक शहर हूँ दिल जलों का,
वो दिल्लगी का महताब है।
मेरा हाल देख कर मोहब्बत भी शर्मिंदा है,
की हार गया सबकुछ फिर भी कैसे जिंदा है।
आओ गले मिल कर हम ये देखें
की आखिर हम में कितनी दूरी है।
नज़र से मंजर मिलाना बहुत ज़रुरी था,
हमारा वैद में आना बहुत ज़रुरी था,
बदन में खून की गर्दिश बहुत ही मधम थी,
उसे गले से लगाना बहुत ज़रुरी था,
मर मर के जीना नहीं आता हमको
हम तो खुल कर जीते है,
शराब सिगरेट छोड़ो,
हम तो चाय पीते है।
इंसान की प्यास कितनी ही बड़ी क्यों न हो,
वो उसे अपने आंसूओं से नहीं बुझा सकता।
बहुत ज्यादा समझदारों को समझाया नहीं करते,
कुछ राज़ होते है जो बतलाया नहीं करते,
वो कोई शख्श हो कोई परी हो कोई नूर हो दुनिया की,
अगर किस्मत से मिल जाए तो ठुकराया नहीं करते।
उस हँसती हुई तस्वीर को क्या पता,
की उसे देख कर कितना रोया जाता है।
तुम्हारी हूँ मैं मेरे सर पर हाथ रख कर,
कसम खाई थी उसने,
भरी जवानी में बाल झड़ने लगे,
लगता है झूठी कसम खाई थी उसने।
सफ़ेद दूध में कुछ चाय पत्तियाँ गिरी
तो रंग सांवला हो गया,
एक भोला भाला सा लड़का
तुझ से मिला तो बावला हो गया।
किसी का दिल ना दुखाये तो अच्छा होगा,
किसी की रुह ना सताए तो अच्छा होगा,
तुम तो जैसी हो वैसी हो क्या कर सकते है,
तुम्हारे बच्चे तुम पर ना जाए तो अच्छा होगा।
एक झलक देख कर जिस शख्श की चाहत हो जाए,
उसको परदे में भी पहचान लिया जाता है।
अंधेरों में रहकर किस्मत कुछ यूं निखारी है,
बहुत नशे किये है मेरे दोस्त तब जा के सर से
मौत उतारी है।
वो बेवफा है तो क्या मत कहो बुरा उसको,
जो हुआ सो हुआ खुश रखे खुदा उसको,
नज़र ना आए तो उसकी तलाश में रहना,
कहीं मिले तो पलट कर न देखना उसको।
उंगलियां यूं ना सब पर उठाया करो,
खर्च करने से पहले कमाया करो,
और ज़िन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे,
बारिशों में पतंगे उड़ाया करो,
शाम के बाद तुम जब शहर देख लो,
कुछ फकीरों को खाना खिलाया करो,
दोस्तों से मुलाकातों के नाम पर
नीम की पत्तियों को चबाया करो,
चाँद सूरज कहा और अपनी मंज़िल कहा,
ऐसे वैसों को मुँह मत लगाया करो।
सजाने सवारने की तुम्हें क्या जरुरत है,
क़यामत लाने के लिए तुम्हारी सादगी ही
काफी है।
मेरे अंदर उसके लिए ज़ज़्बात मरे नहीं है,
अभी खोलते हुए ज़िंदा है,
बस वो आकर एक बार कह दे,
हम अपने किए पर शर्मिंदा है।
बाज़िया तो इश्क की हमने भी खेली है,
बेशक मोहब्बत ना मिली पर नफरते शिद्दत से झेली है।
यही एक जूनून यही एक ख़्वाब मेरा है,
वहां चराग जला दूँ जहां अंधेरा है।
एक वक़्त तेरी ज़िन्दगी में आएगा जरूर
जब तुझे तेरे गलत होने का एहसास होगा,
मैं भी देखना चाहता हूँ कोई तेरे साथ
इतना गलत करे तो तुझे कैसे बर्दाशत होगा।
हमारी असलियत
हमारी योग्यता से ज़ाहिर नहीं होती,
बल्कि हमारे फैसलों से होती है।
चाय की तलाब और दिल में तस्वीर तेरी,
बस इतनी सी है ज़ायदाद मेरी।
मोहब्बत रंग लाती है जब दिल से दिल मिलते है,
मुश्किल तो ये है के दिल बड़ी मुश्किल से मिलते है।
बहुत ही धीरे धीरे चल रहे हो
तुम्हारे ज़हन में क्या चल रहा है,
दिलोंं को तोड़ने का हुनर है तुम में,
तुम्हारा काम कैसा चल रहा है।
ऐसे हो जाऊँगा बर्बाद में जैसे कोई कमाल होता है,
तुम मुझे एक दिन ऐसे खो दोगे जैसे कोई रुमाल खोता है।