मेरी दुनिया मेरी मां
मेरी दुनिया मेरी मां
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डाल बनकर रहती है मेरी वो
जब मैं रोदू आंसू बहा देती है वो।
खुद भूल गई अपने सपने
लेकिन मेरे सपने संवारती है वो।
घाव मेरे होते है लेकिन,
दर्द महसूस करती है वो ।
चिंता मेरी करती है अगर घर आने
पे थोड़ी देरी भी होजाए तो वो
आंगन में निहारते रह जाती है।
अगर मुसीबत मेरी हो
तो वो भगवान से भी लड़ जाए
और कोई नही उसे मेरी मां कहा जाए।
