मेरे मन की कलम से कुछ अपने कुछ
मेरे मन की कलम से कुछ अपने कुछ
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मेरे मन की कलम से
कुछ अपने कुछ दुसरो के गम से
तू खुद की तलाश में निकल
चल चल तू अपने साथ चल
पछतायेगा रह जायेगा
कुछ न यहाँ हो पायेगा
चाहे हो कुछ भी यहाँ
याद तू ना आएगा
हालातों के तेरे जिम्मेदार
तू ही कहलायेगा
उठा ले फिर जिम्मेदारी तू अपनी
रख ले तू पाँव अंगद सा
जमा कर साथ तेरे सब आएंगे
कोसा है जिन्होंने भी,
एक दिन वो ही तेरे गुण गायेंगे
घबरा न तू पछता न तू ,
होगा उदय भानु फिर से कल
जिस दिन तुझे तू पा जायेगा
बाकि न कुछ रह जायेगा
चल तू बस अपने ही पथ पर
सारथी मिल जाएंगे
ढूंढेगा तो एक दिन
तुझे भगवान मिल ही जायेंगे
तू खुद की तलाश में निकल
चल चल तू अपने साथ चल