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Madhuri Dashpute

Children Stories Tragedy

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Madhuri Dashpute

Children Stories Tragedy

मेरे दादा दादी

मेरे दादा दादी

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दादाजी और दादीजी आखिर गये कहां हो आप?

खूब ढूंढती हूं इधर उधर मगर नही मिलते हो आप


रोज सबेरे जल्दी जागना अब तो भारी लगता है

क्योंकी पूजा पाठ की आवाज से अब दिन न शुरु होता है


स्कूल जाने के लिये अब आती है गाडी बडी

लेकिन राह उसकी देखते रहते हूं मैं देर खडी


याद आती हैं दादाजी जब आप मुझे लेने आते थे

राह मे चलते चलते किस्से बहोत सुनाते थे


हंसते खेलते हाथ पकडकर वापिस घर जब आते थे

दादी खडी दरवाजे पे उसे देख मुस्कुराते थे


दिनभर करते खूब मस्ती, करते थे खूब मजे

नयी कहानियां और किस्सो से हर रोज महफिल सजे


रोज रात सोते वक्त याद बहोत आती है

दादीजी की लोरीयों की गुंज कानो मे होती है


नींद अब तो आती नही हैं, याद आपकी जाती नही है

खो गये हो आप जैसे निंद और कहानी भी खो गयी है


दुखते पैर फिर भी आप मुझे बडा घुमाते थे

घुटनो मे दर्द बडा फिर भी कँधे पर उठाते थे


हाथी हाथी, घोडा घोडा कह के मै दौडाती थी

दर्द सारा छुपाकर फिर भी हँसी आपको आती थी


दादीजी की कहानियों से नींद झट आ जाती थी

लोरियों की गूंज से मै स्वप्नकाल मे जाती थी


सच मे दादाजी और दादीजी बडे प्यारे होते हैं

सबसे ज्यादा प्यार, ममता वही हमे तो देते हैं


लेकिन छुपाछुपी के खेल मे आप छिप कहाँ बैठे हो?

बहोत ढूंढती हूं सारी जगह फिर भी नही मिलते हो


पापा केहते हैं चले गये ओ दूर देस अब न वापस आयेंगे

कही और कभी नही ओ अब और कहानियां सुनायेंगे


बताओ दादाजी लुकाछुपी का तो हम खेल खेला करते थे

हार जीत ये सच नही यही तो आप मुझे कहते थे


तो फिर कैसे खेल खेल मे जाकर छुपे बैठे हो

तस्वीर के बिना आप अब घर मे नजर क्यो नही आते हो?


आ जाओ बस एक बार, करदो थोडा लाड प्यार

हठ ये मेरा सही या गलत करुंगी लेकीन बार बार


नही करुंगी कभी तंग और नाही करुंगी कोई शैतानी

रहुंगी बनकर सीधी साधी बनकर आपकी गुडिया रानी।


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