मौत से मुलाकात
मौत से मुलाकात
जिंदगी के उस हसीन मोड़ पे एक अजीब सी घटना घटित हो गई...
जब जा रहा था मैं अपने पथ पर तब मौत से मेरी मुलाकात हो गई...|
देखते ही मौत को इस कदर दौड़ा मैं अपने पथ पर...
जैसे बैठे हो श्रीकृष्ण अपने हाँके हुए रथ पर...|
अल्पसमय में ही दौड़ते हुए मैं हाँफते हाँफते रुक गया...
मौत थी मेरे सामने और मैं चारो तरफ से फंस गया...|
मौत ने मुझसे पूछा- क्यों भागे तुम मैं तो तुम्हारी अंतिम छवि हूँ...
हाँफते हुए मैंने कहा- माफ कर दे हे मातृ मैं तो एक मामूली सा कवि हूँ..|
देखकर मेरी तरफ बोली- तुम व्यक्ति तो मुझे सच्चे लगते हो.....
मुझसे डर इस कदर रहे, मुझे तो दिल के भी कच्चे लगते हो...|
मैंने कहा- मुझे डर नही लगता मुझे तो अपनी जिंदगी से प्यार है...
ओर तुम कुछ दिन बाद आना क्योंकि यमराज मेरा यार है...|
आयी कुछ दिन बाद वो बोली कि अब तो तू तैयार है...
मैंने कहा ले चल अपने साथ मुझे, तेरा कब से मुझे इंतज़ार है...।
