Divya Gehlod
Others
जब हक़ीकत छेड़ जाती,
मुस्कुराता ख्वाब था |
भावनाओं का उमड़ता,
प्रति पल सैलाब था।
भाव जो अश्कों के
संग में बह गए,
सो बह गए,
जो रह गए वो लिख रही हूँ
मैं वो नहीं जो दिख रही हूँ।।
गुज़ारिश
मैं