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Vijay Kadu

Others

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Vijay Kadu

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मैं

मैं

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मेरी खामोशी भी

मुझसे परेशान है!

कौन सी मिट्टी का

बना ये इनसान है!

उलझ जाता हूँ मैं

अपनी ही उलझनों में!

उलझने उलझने लगी

अब अपनी सुलझनों मैं!

वो भी भाग गये

मौका देखकर!

जिन्होंने दम भरा था

साथ निभायेंगे जीवन भर!



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