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Jugal Kishor

Others

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Jugal Kishor

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मैं मज़दूर हूँ

मैं मज़दूर हूँ

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चंद ज़रूरतों में 

जिंदगी गुजार लिया करता हूँ 

मैं मज़दूर हूँ साहेब 

ख्वाहिशों को मार लिया करता हूँ....

वक्त बे-वक्त तेरे काम आता रहा 

मेरे छत टपक रहे थे 

मैं तेरा आशियाना बनाता रहा 

तेरा पत्थर दिल देख 

मैं खून के आँसू रोया हूँ 


तुमने रोटीयाँ कचरे में डाल दी 

तेरा रसोईया हूँ मैं भूखा सोया हूँ 

तुम पगार देने में आना कानी करते हो 

मैं साहूकारों से उधार लिया करता हूँ 

मैं मज़दूर हूँ साहेब 

ख्वाहिशों को मार लिया करता हूँ....

आसमान से मेरे दर्द का अंदाज़ा कहाँ होगा 

नीचे भी देख ज़रा जमीं पर तो आ 

कागज़ के टुकड़ो से इमान बेचने वाले 

इंसा भी बन इंसानियत तो दिखा 

तेरे छाँव की ख़ातिर 

मैं धुपों को ओढ़ लेता हूँ 

हर रोज़ मरता हूँ 

पर हर दिन हिम्मत जोड़ लेता हूँ 


मेरे बच्चे भी रोते हैं खिलौनों के लिए 

ग़रीब हूँ साहेब पुचकार लिया करता हूँ 

चंद जरूरतों में 

जिंदगी गुजार लिया करता हूँ 

मैं मज़दूर हूँ साहेब 

ख्वाहिशों को मार लिया करता हूँ....

रब ने भी कसर ना छोड़ी 

लाचारों को आज़माने मे 

नकार मत मेरे वजूद को 

कंधे थक गए तुम्हें अमीर बनाने में 

मैं मज़दूर हूँ दुनिया को खूबसूरत बना दूँगा 

बस इस नफरत को ख़तम कर 

ज़माना जन्नत बना दूँगा 

हाँ मैं मजदूर हूँ 

धरा का सिंगार किया करता हूँ 

चंद जरूरतों में 

जिंदगी गुजार लिया करता हूँ 

मैं मज़दूर हूँ साहेब 

ख्वाहिशों को मार लिया करता हूँ....


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