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Shruti Pandey

Others

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Shruti Pandey

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"मैं कोरोना"

"मैं कोरोना"

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चिंता मत करो 

अपशब्द न कहो मेरे लिए 

ऐ मानव! 

तुम्हारे बुलाने से ही तो आया हूँ मैं! 

इतना सौतेला व्यवहार अब क्यों कर रहे हो? 

याद नहीं तुमने कैसे पेड़ों को बेहिसाब काटा ,

कैसे अपना महल बनाने प्रकृति को रूलाया है

जान पड़ता है उसी में सहमे़ बैठे हो

क्या हुआ 

दिन रात खेतों में दूसरों के घरों में काम करती

अपनी पत्नी को मार कर पैसा छीन जुआ खेलने नहीं जाना? 

यात्रा में गंदगी फैलाते मनोरंजन नहीं करना,

उन प्राणियों की जिनके जंगल नष्ट कर अपने आप को श्रेष्ठ समझ रहे थे 

उनकी खुशी नहीं देखनी,

धरती के हृदय को चीर कर नदियों को सुखा दिया था ,

वह फिर कल कल बह रही हैं उन्हें प्रदूषित नहीं करना, 

मैं तो तुम्हारी सहायता कर रहा हूँ ,

पाप का घडा़ फोड़ने में 

अब थक गए हो तो अलविदा कहें

या विनती है तो बस जाऊँ। 

अदृश्य रखकर 

तुम्हारे कर्मों की तरह!!!


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