मैं हूँ
मैं हूँ

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कहर हूँ
प्रहार हूँ
खुद में सिमटा
मैं लाखों लहर हूँ
आन हूँ
प्राण हूँ
बाणों को निकलता
मैं खुद का मकान हूँ
सब के सर पर चढ़ता
मैं जुनून हूँ
हर जुर्म को करता
मैं ही कानून हूँ