मैं बहुत खुश हूँ...
मैं बहुत खुश हूँ...
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आज फिर एक बार कांच सा दिल टूटा है,
फिर मेरे उम्मीदों का खून बहा है,
लेकिन......
फिर भी मैं बहुत खुश हूँ...
बाबा आप तो कहते हों, अनमोल हूँ मैं आपके लिये,
कैसे एक अंजान को सौंप दिया है, आपने
लेकिन..
फिर भी मैं बहुत खुश हूँ....
स्वाभिमान खुद का छोड़ चुकी हूँ में,
अपने ही हाथों मजबूर हूँ मैं,
लेकिन......
फिर भी में बहुत खुश हूँ......
दो रोटी के बदले, अपने सपने भुला दिये हैं,
प्यार के बदले, आत्म सन्मान गिरवी रख दिया है,
लेकिन....
फिर भी में बहुत खुश हूँ.....
