मै हूँ हिंदी
मै हूँ हिंदी
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पैदा हुई पली बढ़ी आन बान से
लोगों ने मुझे जाना है हिंदुस्तान से
है गर्व मुझे मेरी बड़ी आन बान है
है गर्व मुझे मेरा भारत देश महान है।
खुसरो ने मुझे सदा गले से लगाया है
रहीम ने दोहो में,मुझको सजाया है
रसखान ने मुझमें कई रस घोल दिये हैं
मलिक ने मुझसे शब्दों के मोती तोल दिये हैं।
मैं बाँसुरी की धुन पे हूँ, साहनी की प्रीत में,
यह सात सुर आज भी है मेरे नाम के
मेरे बिना न तानसेन किसी काम के
मुझसे रचे हैै, दोहे कबीर दास ने
मुझसे रचा है, महा काव्य तुलसीदास ने।
