माँ का स्पर्श
माँ का स्पर्श
माँ तेरे आँचल में,
छिपकर,
मैंने अपने सपने संजोए।
तेरा स्पर्श,
मेरी आत्मा को सुकून देता है।
कड़कती धूप में मुझे,
तेरे हाथो की,
ठंडक महसूस होती है।
वो हवा मुझे चैन देती है,
जो तुझे छूकर आती है।
डांट के बाद वो ढेर सारा प्यार,
हाथों से मुझे खाना खिलाना,
दर्द में भी,
तेरे चेहरे पर मुस्कान की छवि,
बहुत याद आती है।
माँ से दूर जाने का ख्याल भी,
दिल को खाली कर देता है।
आपका कोई फ़ोन न आना भी, ऐसा लगता है,
जैसे मैं सबसे दूर हो रही हूँ।
माँ आप भी,
डिजिटल हो जाओ मेरे लिए।
जो,एक क्लिक में मेरे पास हो।
एक माँ का ही तो अपनत्व है,
हर बेटी को जिससे वो,
अपने दिल की बात कह लेती है।
बाकी दुनिया के साथ तो वह,
सिर्फ सुखों का और सेवा का बंटवारा करती है।
मन के सच्चे भाव तो,
सिर्फ माँ ही पढ़ पाती है।
इसीलिए वो सिर्फ,
माँ से सब कह पाती है।
जानती हूं कि,आपको बहुओं के रूप में
बेटी मिल गयी है।
मेरी माँ शायद कहीं खो गयी है।
अपनी सास के रूप में ,
मुझे भी बहुत अच्छी माँ मिली है।
पर वो मुझसे,
वो सब साझा नहीं करती है,
जो वो अपनी बेटी से करती है।
जब वो कहती है कि,
जो एक बेटी,
अपनी माँ के लिए सोच सकती है
वो बहु कभी नहीं सोचेगी।
मुझे बिल्कुल भी बुरा नही लगता।
क्योंकि वो अपनी बेटी की जगह,
कभी किसी को नही देंगी।
बल्कि अच्छा लगता है,
उनका अपनी बेटी के लिए
इतना सारा प्यार देखकर।
मेरे पति, मुझे बहुत प्यार और सम्मान देते है।
पर जब वो कहते है कि,
मेरी बहने,
सबसे अच्छा खाना बनाती है,
तो भी बुरा नहीं लगता।
अच्छा लगता है ये सोचकर कि,
मेरे भाई भी ऐसा ही कहते होंगे।
काश माँ ! आप भी जब मैं ,
इस बार घर आऊँ तो आप कहो,
कि आज मेरी बेटी,
मेरे कमरे में मेरे साथ रहेगी
और सिर्फ मुझसे बात करेगी।
बेटी को कभी मायके आने पर,
सिर्फ खाने की भूख नहीं होती।
उन्हें,उस प्यार की भूख होती है,
जो उन्हें कहे कि,
चिंता क्यों करती हो ?
हम खड़े है तुम्हारे साथ।
माँ आप हमेशा स्वस्थ और खुश रहे ।