लखनऊ
लखनऊ
अमाँ मियाँ, जहाँ चौराहे पर खड़े होकर
तुम्हें भीनी सी मक्ख़न मलाई की खुशबू
आ जाये तो मदहोश ना हो जाना,
और फिर अगले ही पल वो
बदल के तेज़ बिरयानी में
तब्दील हो जाये तो हैरान न हो जाना,
अगर अज़ान पर किसी हिन्दू का
सिर सजदे में देखो तो चोंक मत जाना,
अगर नवरात्रि में खुले में गोश्त बिकता ना देखो
तो सदमे में ना आ जाना,
समझ जाना कि तुम सही जगह आगये हो,
समझ जाना कि तुम मेरे
शहर लखनऊ आ गये हो।
कोई तुम्हें, तुम नहीं आप कह कर बुलाये
तो मासूमियत से धोखा ना खाना,
कोई तुम्हें, क्या रे रंगबाज़ कह कर
बुलाये तो उसके लहज़े पर मत जाना।
कोई तुम्हे, यूँ ही बबुआ कह जाए
तो मिज़ाज मत बिगड़ना,
कोई तुम्हें जनाब कह कर
बुलाये तो ज़्यादा चौड़े मत हो जाना,
समझ जाना कि तुम सही जगह आगये हो,
समझ जाना कि तुम मेरे शहर लखनऊ आगये हो।
