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Bhakti Dhuri

Others

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Bhakti Dhuri

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लड़की होना आसान नहीं होता

लड़की होना आसान नहीं होता

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जिसके एक आंसू से माँ – बाप का दिल पिघल जाता था 

वोह आज आंसूओं का समंदर दिल में समा लेती हैं 

जो कभी काँच की गुड़िया हुआ करती थी

वो आज हर मुश्किल हसके झेल जाती हैं


वो लड़की हैं जनाब वो हर रिश्ता बख़ूबी निभा लेती हैं

अपने घर को पराया बनाकर पराए घर को अपना लेती हैं

रिश्तों की भीड़ में खुद को भुलाकर हर रिश्ता सवार लेती हैं

नखरेल मिजाज जिसका वो हर ईच्छा भुला देती हैं


एक नया रिश्ता जोड़कर वो अपने घर में ही पराई हो जाती हैं

वो लड़की हैं जनाब वो हर जिम्मेदारी अच्छेसे निभा लेती है

माँ – बाप की लाड़ली गुड़िया जब पराए घर चली जाती हैं

पुराने रिश्ते संभालते – संभालते नई दुनिया बसा लेती है


बेटी, बहू, बीवी, माँ हज़ारों रिश्ते निभा लेती हैं 

बिना किसी शिकायत वो हर जख्म सेह लेती हैं

वो लडक़ी है जनाब जो अपनों की

खुशियों के लिए दुनिया से लड़ जाती हैं।


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