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Sarvesh Baliga

Others

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क्या तूम श्री राम हो ?

क्या तूम श्री राम हो ?

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लोभ, मोह, अहंकार हूं मैं,

क्रोध की बढ़ी झनकार हूं मैं।

सब की पीड़ा पर हँसता हूं

हर मानव में मैं बसता हूं।


मैं रावण हूं, मैं लंका हूं

हर दहशत का मैं डंका हूं।


अनुज है मेरा कुंभकर्ण

मैं सुर्पणखा का भ्राता हूं।

बागी भाई विभीषण मेरा

मैं दानव गण का दाता हूं।


मैं रावण हूं, मैं लंका हूं

हर दहशत का मैं डंका हूं।


बहना मेरी सब से प्यारी

राखी का वचन निभाता हूं।

एक आंच भी आयी उस पर तो

हर लक्षमण से लड़ जाता हूं।


मैं रावण हूं, मैं लंका हूं

हर दहशत का मैं डंका हूं।


स्पर्श भी ना किया सीता को

रखा था अशोक बाग में।

लेकिन समाज ने यह तेरे

डाला था उनको आग में।


अब रावण मैं हूं, या तुम हो ?

अब पावन मैं हूं, या तुम हो ?


पाप तो तुम भी करते हो

के धन दौलत और नाम हो।

गर “रावण” मुझे बुलाते हो

क्या तुम खुद तो श्री राम हो ?


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