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pragati gupta

Others

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pragati gupta

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कुछ अनकहा

कुछ अनकहा

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कुछ अनकहा सा था ,

जो बह गया

कुछ बेपनाह सा था

जो दिल में ही रह गया,

अब नई मंजिलों मे नये हैं कदम

नई है दुनिया नया है चमन

रहेगा एक एहसास मेरा तेरे साथ

जब तक हम दो एक संग ।



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