pragati gupta
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कुछ अनकहा सा था ,
जो बह गया
कुछ बेपनाह सा था
जो दिल में ही रह गया,
अब नई मंजिलों मे नये हैं कदम
नई है दुनिया नया है चमन
रहेगा एक एहसास मेरा तेरे साथ
जब तक हम दो एक संग ।
ऐसा ही एक रिश...
कुछ अनकहा