खुद से मुलाकात।
खुद से मुलाकात।
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आज अरसों बाद ख़ुद से मुलाकात हुई।
वक़्त हालात काफी बदल चुके थे,
बदले हुए तो हम भी थे।
खुद को जब पूछा कि इतनी नाराज़गी
ख़ुद से क्यों लिए बैठे हो,
शिकायतें दूसरों की पूरी करते करते
खुद से ही तो रूठे हो।
ज़िन्दगी हसीन है, इसे हसीन ही रहने दो।
ग़म के इस सागर से कुछ खुशी के
आँसू भी बेहने दो।
