STORYMIRROR

Raj Nakum ( ઘાયલ )

Others

2  

Raj Nakum ( ઘાયલ )

Others

कब्र

कब्र

1 min
2.9K



क्या कुछ नहीं किया हमनें उनके लिए 

फिर भी ना उसके दिल में उभरे ना उतरते रहे....।


लगता है किसी की नज़र लग गई 

उसके पास रहते हुए भी दूर होते रहे....।


ये दिल भी पता नहीं कहा जाकर बैठा 

ना उससे आज़ाद हुए ना गुलाम रहे...।


कैसे बिखरा के रख दिया उन्होंने हम को 

ना उसके रहे ना किसी और के रहे....।


छोड़ा किस हाल में खुदा तूने भी मुझे 

अब तो ना अपने रहे ना पराए रहे...।


हम भी उसके इस कदर हुए

ना इधर के रहे ना उधर के रहे....।


ऐसा भी होगा की आप आओ मिलने 

और इस बार हम कब्र ही में बंधे रहे....।




Rate this content
Log in

More hindi poem from Raj Nakum ( ઘાયલ )