कौन कहता हैं माँ समझतीं नहीं??
कौन कहता हैं माँ समझतीं नहीं??
तेरा सबके लिए खुद को बदलना
सबकी जरूरतों का खयाल रखना
सपनों को छोड़कर अपनों को चुनना
हर किसी का साथ देना
कौन कहता हैं माँ समझतीं नहीं ?
मेरी उन अनकही बातों को सुन लेना
मेरी ख़ुशी में दबे दुःख को पहचान लेना
मुझे चोट लगने पर मेरे दर्द को समझ लेना
मेरी गलतियों पे मुझको हक से डाँट लेना
कौन कहता हैं माँ समझती नहीं ?
मुझे याद है वह बचपन में तेरा कहानियाँ सुनाना
मुझे याद है तेरा वह हर वक़्त मेरे पीछे रहना
मुझे याद है तेरी वह चिंता करना
कौन कहता हैं माँ समझती नहीं ?
तू वह फ़रिश्ता हैं जो सबको नही मिलता हैं
तू वह रब हैं जो हमेशा साथ रहता हैं
तू वह गुरु हैं जो कभी साथ नहीं छोड़ता हैं
तू वह दोस्त हैं जो हमेशा पास होता हैं
फिर कौन कहता है कि माँ समझतीं नहीं
फिर कौन कहता है कि माँ समझतीं नहीं
वह माँ हैं जनाब वह सब समझती हैं।