काश मैं भी स्कूल जा पाता
काश मैं भी स्कूल जा पाता
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मैं भी होनहार हूँ, मैं भी तेज प्रकाश हूँ।
गरीब हूँ तो क्या हुआ आखिर मैं भी इन्सान हूँ।
है कई सपने मेरे, उड़ना है ऊँची उड़ान।
कर कड़ी मेहनत मुझे भी जाना है दरिया पार।
करने है सच वो सपने जो मैं रोज देखा करता हूँ।
देख सभी बच्चों को मैं उसमें खुद को ढूंढता रहता हूँ।
सोचता रहता हूँ कि काश मैं भी स्कूल जा पाता।
बढ़ाता कोई हाथ अपना और मैं भी पढ़-लिख सकता।
होते स्वप्न मेरे सभी सच, मैं अपनी पहचान खुद बनाता।
मेरे अंदर छिपे प्रकाश से मैं दुनिया को रोशन कर पाता।
काश मैं भी स्कूल जा पाता।
काश कोई हाथ बढ़ा देता।
तो मैं भी खुद की पहचान बनाता।
काश मैं भी स्कूल जा पाता।
