कान्हा जी
कान्हा जी

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तू तो वृंदावन
की राधा रानी
का सांवरा था
मीरा का दिल
बस तेरे लिए ही
तो बावरा था
राधा तो बस
तेरी इस मुरली
की धुन की दीवानी थी
तेरी वजह से ही
अमर हुईं मीरा
की कहानी थी
तेरे संग राधा
रानी तो पनघट
पर रासलीला
रचाती थी
मीरा अपने प्रभु
मानकर उसकी
भक्ति से बने
महल सजाती है
राधा जी के जीवन
में तो स्नेह पाकर
हो गया उजाला
मीरा ने भी हंसते हुए
तेरा नाम लेकर अमृत
समझ कर पी लिया
विष का प्याला