जुगनू की चमक
जुगनू की चमक
बच्चे थे सुनते थे जुगनू अंधेरे में बहुत चमकते हैं
मगर मैंने उन्हें चमकते हुए नहीं देखा था
बहुत समय बाद एक बार हम कहीं गए थे
रात में वहां जुगनू को चमकते देखा।
सच कहती हूं मन इतना खुश हो गया।
देख जुगनू को झपकते झपकते मन खुशी से झूम उठा
झबक झबक, रोशनी करते हुए ।
अंधेरे में तारों की जैसे चमकते हुए।
ऐसा लग रहा था मानो तारे और परिया झील मिला रही हैं।
मन वहां से जाने का हो ही नहीं रहा था।
मन कर रहा था वापस बच्चे बन जाए।
हम भी इनको पकड़कर के एक बोतल में भरलें।
फिर अंधेरे में बोतल भर रख कर जी भर के इनकी झिलमिलाती रोशनी को देखें।
वास्तव में बहुत सुंदर नजारा था ।
आज आपने जुगनू वापस याद दिला दिए।
उसके बाद वापस मैंने कभी जुगनू देखे ही नहीं
या कहो देखने की कोशिश ही नहीं करी।
क्योंकि आजकल रोशनी सब जगह होती है।
और जुगनू तो अंधेरे में ही चमकते हैं।