STORYMIRROR

Mayank Rana

Others

5.0  

Mayank Rana

Others

जम्मू कश्मीर से लद्दाख तक

जम्मू कश्मीर से लद्दाख तक

1 min
590



लाल चौक पर फ़हरे तिरंगा 

मन में ये एक आशा है,

कश्मीर बने स्वर्ग सुन्दर-सा 

दिल की ये अभिलाषा है।


बहुत हुआ खून-खराबा 

रक्तरन्जित धरा ये कहे,

सपूतो के तन में मेरे अब 

लहू प्रेम का बस बहे।


 धारा-धारा कर तुमने

 द्वेष की नदियाँ बहायी है,

 भटकाकर जन-मानस को

 पत्थर की बन्दूक थमायी है।


जेहादी नारो से तुम

अब धरती न दह्लाओगे,

कंठों से उनके विरोधी

नारे न सुन पाओगे।


पथ भ्रमित अब हम न होंगे 

सुन लो गुलिस्ताँ के काँटों,

पुष्प को पुष्प ही रहने दो 

उसे धर्म,जाति में न बाँटो।


आन्तकी वर्चस्व अब

दम घाटी में तोडे़गा 

हर कश्मीरी

निर्भिक हो अब

संसद से सड़क तक ये बोलेगा।


 70 सालों से प्यासी घाटी 

 अब तो सुन्दर फूल बनेगी 

 घूँट-घूँट कर घट भर अपना 

 अब कश्मीर की कली खिलेगी।


 जम्मू का कोइ जोड़ न होगा

 और ना लद्दाख सी लालिमा,

 लेह से श्वेत किरण ले 

 आओ धो दें सब कालिमा।


कारगिल की शहादत का

अब तो सम्मान करो,

आओ मिल नये कश्मीर

पर अभिमान करो।


 एक देश,संविधान,प्रधान

अब यही हमारा नारा है 

 कान खोल अब सुनलो सब 

 कश्मीर केवल हमारा है

 कश्मीर केवल हमारा है।


               


Rate this content
Log in