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VIPIN KUMAR TYAGI

Children Stories

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VIPIN KUMAR TYAGI

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जल है तो कल है

जल है तो कल है

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जल है तो कल है वरना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं,

पृथ्वी के कुल भाग का तीन चोथाई भाग जल है,फिर भी पीने योग्य पानी एक प्रतिशत भी नहीं,

फसल उत्पति के लिए भी पर्याप्त जल नहीं,पेड़ पौधे के लिए भी पर्याप्त जल नहीं,

इतनी भयावह स्थिति फिर भी हमें चिंता नहीं,हमने जल का अंधाधुंध दोहन रोका भी नहीं,

जल है तो कल है वरना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं,

मनुष्य ने स्वयं जल को प्रदूषित करने की कसर छोड़ी नहीं,

न केवल नदी नालों का जल बल्किपृथ्वी के अंदर के जल को भी बिना प्रदूषण के छोड़ा नहीं,

हमने जल को प्रदूषित कर पीने लायक छोड़ा नहीं,फिर भी मन भरा नहीं तो पृथ्वी के जल का अंधाधुंध दोहन कर जल पीने लायक छोड़ा भी नहीं,

मानव ने तो अपने जीवन पर प्रश्न चिन्ह लगा कर सोचने पर विवश कर दिया कि बिना जल जीवन भी नहीं,

जल है तो कल है वरना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं,

मानव संभल अभी भी वक़्त है जल संरक्षण कर अन्यथा देर हो जायेगी

तेरे अस्तित्व पर संकट आ जाएगा, सूख जाएगी नदी, नाले व झीले ,तो जल कहाँ से लाएगा,

संभल जा अभी भी, नहीं तो तेरा अस्तित्व ही मिट जाएगा,

क्योंकि जल है तो कल है वरना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं,

समय रहते जग जा मानव,जल का संरक्षण कर,एक एक बूंद जल का संरक्षण कर,

वर्षा जल का संरक्षण कर,पृथ्वी के अंदर के जल को रिचार्ज कर,

पानी का प्रदूषण बंद कर,जल स्रोतों का संरक्षण कर,

यदि कल को है बचाना तो शुरू कर जल बचाना,

क्योंकि जल है तो कल है वरना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं,



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