Reeva Gupta

Others

2.8  

Reeva Gupta

Others

जिंदगी

जिंदगी

1 min
342


इस चार दिन की जिंदगी में,

हमने बहुत रंग देखे हैं....!!

इस सुहाने सावन की बरसात में...,

हमने कई मौसम नम देखे हैं....!!

इस चार दिन की जिंदगी में,

हमने बहुत रंग देखे हैं....!!


लोग ढूंढ़ते हैं, खुदा को मदिंर-मस्जिदों में,

हमने बहुत से लोगों में रब देखे हैं....!!

इस चार दिन की जिंदगी में,

हमने बहुत रंग देखे हैं....!!


तलाश में हैं लोग सच्ची मोहब्बत के,

फिर क्यों उन लोगों ने ही रूह की आड़ में

अपने जिस्म बेचे हैं...!!

इस सुहाने सावन की बरसात में...,

हमने कई मौसम नम देखे हैं....!!.


Rate this content
Log in

More hindi poem from Reeva Gupta