" जिंदगी : एक खुली किताब "
" जिंदगी : एक खुली किताब "
जिंदगी.......
उस खाली डायरी की तरह होती है ,
जिसके चैप्टर हमें खुद लिखने होते हैं
बनते बिगड़ते हालात का हिसाब रखती है जिंदगी
परिस्थितियों से लड़कर हमें जीतना सिखाती है जिंदगी।।
हर दिन एक नया पन्ना जड़ता है ,
जीवन का हर एक अध्याय हमें नया पाठ सिखाता है
जिंदगी की किताब में हर पन्ने होते हैं सपनों से भरे ,
कुछ पूरे , कुछ अधूरे और कुछ होते हैं कोरे।
अच्छे-बुरे कार्यों का किस्सा है लिखा होता,
हम स्वयं ही होते हैं उसके रचयिता,
इस किताब में जितने हम जीत के किस्से हैं लिखते ,
है उतने ही हार के किस्से भी लिखे जाते।
जिंदगी के कुछ पन्ने रह गए हैं अभी भी खाली
कुछ ख्वाब हुए पूरे, तो कुछ रह गये अब भी अधूरे
रुकूँगी नहीं , गिरूँगी नहीं न ही मैं हारूँगी,
कुछ सपने रह गए हैं अब भी बाकी,
जिन्हें करने हैं मुझे पूरे।
खत्म नहीं हुई स्याही मेरे कलम की,
आखिरी पन्ना भरने तक है स्वयं को लिखते जाना
अधूरे सपनो को है बस पूरा करते जाना।