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Mohan Bamniya

Others

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Mohan Bamniya

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इतवार

इतवार

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जिंदगी ऐसी हो गई हमारी

किसी को बता भी नहीं सकते

एक इतवार मिलता है सप्ताह में

उसको भी खाली रख नहीं सकते

भाग दौड़ इतनी है जीवन में

अफरा-तफरी हर तरफ मची है

पैसे आवश्यकता से ज्यादा कमा लिए

सुकून कितना है कुछ कह नहीं सकते


जिंदगी ऐसी हो गई हमारी

किसी को बता भी नहीं सकते

एक इतवार मिलता है सप्ताह में

उसको भी खाली रख नहीं सकते

ख़्वाहिशें रखते है परिवार संग जीने की

परिवार को समय देते कितना कह नहीं सकते

हर किसी को हमसे शिकायतें रहती है

मगर हमारे दिल का हाल

किसी को कह नहीं सकते

जिंदगी ऐसी हो गई हमारी

किसी को बता भी नहीं सकते


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