इश्क की दास्तान
इश्क की दास्तान
इश्क की दास्तान
सदियो बाद तेरे इश्क मे फिर से पड़ने को जी चाहता है
जमाने का भटका मुसाफिर तेरी पलको की छांव मे ठहरना चाहता है
तुझसे दुर होने की ख्वाहिश पाल बैठा था ये नादान दिल
ये भी आजमा कर देख लिया….
सच पूछो तो हैं बड़ा ही मुश्किल
हो अगर भरोसा तो आके मुझको गले लगा ले
बांध ले पल्लू से अपने
और अपने मांग का सिंदूर बना ले
सच सच बता एक बात मुझे
तुझ को है मेरी कसम…..
प्यार नही था मुझसे
तो फिर किस बात पर हैं ये आँखें नम
माना की आ गई थी हमारे दरम्यान कई गलत फेहमिया
लेकिन कम ना कर पाई फिर भी मोहब्बत को ये दूरियाँ
हर पल हर घड़ी तेरे ही सपने संजोता रहा
बाहर से खामोश दिखने वाला ये दिल अंदर ही अंदर रोता रहा
कर भले ही शिकायत मुझसे
अपनी मन की हर बात कर
मैंने मैसेज कर रखा है उठा फ़ोन
अब तो एक बार बात कर
मैं भी तेरा, सांसे तेरी ,तेरी ही जिन्दगानी है
मैं कलम बनना चाहू और तू ही मेरी कहानी है
मैं तो चला आया हू…
तु भी चली आ ना बंधन सारे तोड़ कर
एक नयी इश्क की दास्तान लिखे हम…
सभी गिले शिकवे छोड़ कर !!!
