होली
होली
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आ गया है मधुमास, मन में रंगोली आस
गोप गोपियन में, आज क्यों अबोली है ।
ब्रज में मची है धूम, कान्हा संग घूम-घूम
गोपियों को ढूँढ रही, देखो ग्वाल- टोली है ।
छत की मुंडेर पार, छिपी बैठी ब्रजनार
अबीर-गुलाल भरी , एक-एक झोली है ।
घेर लीनी ग्वालटोली, केशर तिलक रोली
डूब रही रंग में, कितनी ये भोली है ।
तिरछे कटीले नैन, गोपियों के तीखे बैन
नेह नहीं फिर ऐसी कैसी ये ठिठोली है ।
रंगीली है आज होली, रार छोड़ो हमजोली
ॠतु ये सुहानी मधु-रस-रंग घोली है ।
भर पिचकारी मारी, रूपसी ये कौन नारी
भीख रही देखो कैसी, कान्हा हमजोली है ।
बृषभानु की किशोरी, कान्हा संग खेले होली
केशर फुहार देखो, होली-है , होली-है ।
