होली पर दो गीत
होली पर दो गीत
लाल,हरे, नीले, पीले,
ये रंग निराले हैं ।
रंगों की एक नदी बह रही,
आओ हम डूबें।
क्या जीवन इक बोझ बन गया ,
क्यों कर हम ऊबें।
रंग हमारे जीवन में
करते उजियाले हैं।।
रंग लगे साबुन के जैसे,
मन करते निर्मल।
नर से नारायण बन जाते,
हो जाते उज्ज्वल।
बढ़कर के उपयोग करो,
ये देखेभाले हैं ।
जो रंगों से दूर गया,
खुशियों से दूर हुआ।
शायद वह अपने जीवन में,
कुछ मजबूर हुआ।
कुछ तो रोग समय दे जाता,
कुछ हम पाले हैं।।
राग फाग का गाकर अंतस,
कुछ बौराता है ।
और अचानक बीता बचपन,
वापस आता है ।
जिनके भीतर रंग बचा,
वे किस्मत वाले हैं।।
लाल, हरे, नीले, पीले
ये रंग निराले हैं।।
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रंगों से प्यार हुआ
रंग आ गये जीवन में,
समझौते त्योहार हुआ ।।
कब तक करते रहें हमेशा
रंगों से परहेज।
रंग हमें देते हैं खुशियाँ,
रक्खें इन्हें सहेज ।
जीवन से गर प्यार हुआ,
रंगों से प्यार हुआ।।
रंग आ गये जीवन में,
समझो त्योहार हुआ।
अंतस की जड़ता टूटेगी,
जीवन चल होगा।
खुशियों से बीतेगा प्रतिपल,
उन्नत कल होगा।
रंग संग मन अगर हो गया,
तो उद्धार हुआ।।
रंग आ गये जीवन में,
समझो त्योहार हुआ।
रंग नहीं, ये तो प्रतीक हैं,
सुंदर वैभव के।
साथ रहे तो गीत रचें हम,
प्रतिपल उद्भव के।
साथ मिला रंगों का तो,
अद्भुत संसार हुआ।।
भंग, चंग के साथ रंग का,
अद्भुत रहा मिलन।
बिन ठंडाई फाग-वाग का,
रस न मिले स्वजन।
बिन मादकता के लगता,
फागुन बेकार हुआ।।
रंग आ गये जीवन में,
समझो त्योहार हुआ।।