हकीकत
हकीकत
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हकीकत ने पूछा होगा कभी किसी से-
कि तू मुझे छिपाकर क्यों रखता है?
क्यों मुझे इस जमाने के सामने नहीं आने देता ?
हकीकत का खुद से सवाल था –
कि क्यों मुझे दबाया जाता है ?
क्यों मुझे छिपाया जाता है ?
मैं तो सच हूं वह सच जो सबके सामने होना चाहिए।
हकीकत यह है की हकीकत का गला घोटा जाता है,
हकीकत यह है कि जो आप देखते हैं वह कभी हकीकत नहीं होती,
हकीकत यह है कि हकीकत बस सपनों में दिखती है,
हकीकत यह है कि हकीकत में कभी हकीकत नहीं मिलती,
हकीकत यह है कि हकीकत में हम कुछ नहीं कर सकते,
हकीकत यह है कि अगर हम हकीकत में कुछ कर भी ले तो,
वह हकीकत हमारी जिंदगी की हकीकत बदल देती है।।
