हाँ मैं गलत हूँ
हाँ मैं गलत हूँ


हाँ मैं गलत हूँ,,,
क्यूँ कि अब मुझे अबला कहलाना बिल्कुल स्वीकार नहीं,,खुद के वज़ूद के लिए तुम्हारे वज़ूद की भी दरकार नहीं,,मैं जान चुकी हूँ बोलना तो ना सह सकूंगी कुछ भी घृणित,,अब झूठी आन के बदले मुझको मूकता स्वीकार नहीं,,चलना हूँ अब मैं जानती तो संग संग चलूँगी मैं तेरे,,पर एक साथ के खातिर मुझे पीछे चलना स्वीकार नहीं,,माना कि मेरे कंधों पे, कई इज्जतों का भार है,,पर मान जो कुचलोगो तुम मेरा, तो आघात ये स्वीकार नहीं,,मैं नारी हूँ मैं क्यूँ करुँ प्रति पल में तुम संग प्रतिस्पर्धा,,जब खुद जानती हूँ मैं कि मेरा तुम से कोई सरोकार नहीं,, जन्म पाया मुझसे तुमने, पर आज जैसे
जन्मी हूँ मैं,,इस जन्म को करने सफ़ल तुम्हारी दयनीय दृष्टि स्वीकार नहीं,,अब तक सुना जो तुमने कहा, और मान बैठी नियति इसे,,अब जो भी भायेगा मुझे, खुद लिखूँगी बैठ के,,क्यूंकि मुझे अब खुद के संघर्षों के लिए तुम्हारी ये कुंठित कथा व्यथा स्वीकार नहीं,,क्यूँ कि नारी हूँ मैं और अब मुझे अबला कहलाना बिल्कुल स्वीकार नहीं,,तुम अगर गौरव हो तो मैं शान हूँ इस देश की,, इस मान के बदले मुझे कोई झूठी कथा स्वीकार नहीं,, क्यूंकि नारी हूँ मैं और अपने इस नारित्व पे ये पुरुष मोहर स्वीकार नहीं,, तो शान कहती हूँ अब मैं कि हूँ मैं गलत,, क्यूंकि अब मुझे अबला होना स्वीकार नहीं।