Ajay Khavad
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बड़ी दुविधा हो गयी है...
हर रात ख्याल आता है कि
दिन चले जा रहे है...
और
सुबह होने पर दिन गुजारने के
तरीके ढूंढने पड़ते है...
गुजरता वक़्त....
होशमंद!
हम से मुंह न ...
गाँव बदल गया ...