घर वापस आ रहा हूं माँ
घर वापस आ रहा हूं माँ


मुझे कुछ मुझ जैसे मिल गए है
उनसे यादें समेट रहा हूँ
माँ मैं घर वापस आ रहा हूँ माँ।
अब भावनायें कागज़ों पर उतरने लगी है
लोग सुनने भी लगें हैं बस उन्हें सुना कर
थोड़ा रुला कर थोड़ा हँसा कर
थोड़ी सी संवेदनाएं जगा कर
घर वापस आ रहा हूँ माँ।
कुछ चाँद बन गए कुछ सितारे हो गए
मैं तेरा वही लाडला हूँ माँ
सुबह से शाम बहुत लोगो से मिलता हूँ
कुछ नज़र मिलाते हैं कुछ हैं मिलाते हैं
ख़ास मौक़ों पर गले भी लगाते हैं
पर तुझ जैसा आलिंगन कहीं
नहीं इस जहाँ में माँ
माँ मैं घर वापस आ रहा हूँ माँ।
कुछ भले लोग हैं मेरे साथ
पर ये दुनिया बड़ी उलझी हुई है माँ
कई तो ऐसे हैं जो चेहरे पे मुस्कान
दिल में दर्द लिए बैठे हैं
सबों के दर्द भरे किस्से सुन
कर रो पा रहा हूँ माँ
अब तेरे काँधे पर आँसू बहाने
घर वापस आ रहा हूँ माँ।