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Manasvita Jain

Others

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Manasvita Jain

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घर का मूल्य

घर का मूल्य

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ऐ मेरे सदन ऐ मेरे घर, 

मैं कहाँ रहती तू ना होता गर

मै तेरी हूँ बहुत बहुत आभारी, 

तेरे महत्व का आभास करा गयी

मुझको कोरोना महामारी ।। 


दया आती है मुझको गरीबों पर, 

जिनके पास नहीं वास को घर। 

तूने रक्षा की मेरी सदा , 

मूल्यवान तेरे साथ बिताया हर एक लम्हा ।। 


छुटपन से जहाँ गूंजी मेरी किलकारी, 

जहाँ मैंने की कोई भी कलाकारी, 

वह जगह मुझे जान से भी प्यारी ।। 


जहाँ बसे हैं मेरे हृदय और आत्मा,

उसकी शोभा सदैव बनी रहे परमात्मा।।


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