गाँव की यादे
गाँव की यादे
जो बात खेतों में घूमने की थी
वो बात शहरों में कहा।
जो बात गाँव के सड़कों की थी
वो बात हाइवे में कहा।
जो बात खेतों में खाना खाने की थी
वो बात आज कल के फाइव स्टार में कहा।
जो बात गाँव के घरों में थी
वो बात शहर के महलों में कहा।
जो बात गाँव की बिजली जाने पर अंधेरे में थी
वो बात शहरों की उजालों में कहा।
जो बात खेतों के गन्ने खाने में थी
वो बात शहरों के ज्यूस में कहा।
जो बात गाँव की ठंडी हवाओं में थी
वो बात महलों की ए सी में कहा।
जो बात गाँव की नेचर में थी
वो बात शहरों के पार्कों में कहा।
जो बात गाव के त्यौहारो में थी
वो शहरों के त्यौहारो में कहा।
जो बात गांव के घी में थी
वो अमूल और चितले में कहा।
जो नींद गांव के कमीज़ में थी
वो शहरों के ब्लैंकेट में कहा।
जो बात गांव में बारिश के बाद के मिट्टी के सुगंध में थी
वो बात शहरों के कीचड़ों में कहा।
जो बात शाम को दोस्तों से बातें करने में थी
वो बात व्हाट्सएप के चाट में कहा।
जो तरीका दोस्तों के हसने का था
वो इमोजी में कहा।
जो मज़ा भूतों की कहानिया सुनने में था
वो इंटरनेट पर पढ़ने में कहा।
बातों पर अमल करने की जो बात गाव के लोगों में थी
वो बात शहर के लोगों की प्रॉमिस में कहा।
