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Nishka Tegnoor

Others

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Nishka Tegnoor

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एक अलग रास्ता

एक अलग रास्ता

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सामने मेरे चार रास्ते पड़े थे,

पहेले पे अपनी वो सारे रयांक होल्डर्ज़ थे,

दूसरे पे अपनी वो सारे हरामी दोस्त थे,

तीसरेपे मुझे भेजने की ख्वाहिश परिवार की थी,

और चौथा रास्ता वो था, जिस्से चुनके, उसपे चलने का फ़ैसला मेरा था।


अपनी देखूँ, घरवालों की मानु,

दोस्तों के साथ जाऊँ या टापर्ज़ के संग पाऊँ। उ

लझन से भरावो दिन, बेचैन सीवो रातें, चार रास्ते फ़ैसला एक, 

किसपे चलूँ, किससे मोड़ूँ? 


सुनसान सा रास्ता था, मेरा चुना हुई यह एक अलग रास्ता था,

चल पड़ी में इसी रास्ते पे,

अकेली ही सही तसकीन तो थी, 

दूर कहीं मंज़िल थी, उसी की कही क़रीब में में थी। 


ज़िंदगी की रास्तों चलने वाली अपनी में थी,

ना साथ चलने वाला था कोई, ना पहला, ना दूसरा, ना तीसरा,

इसीलिए अपनी मंज़िल की चौथे रस्ते पे चलपड़ी ,

उसी अजीब सी अलग रास्तेपे मशहूर हुई, साथ फिर लोग खुद देने लगे।



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