दुआ और उम्मीद
दुआ और उम्मीद
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उस राह पर थे हम भी चले खुद को मजबूर ना कह,
पैरों पे छाले हमने भी थे सहे खुद को तो गरीब ना कह,
मुस्कुरा, हौसला रख,वो मलिक आज भी है तेरे साथ खड़े !