"दोस्ती"- एक छोटा शब्द
"दोस्ती"- एक छोटा शब्द
ज़िंदगी जब अपने दोस्तों के साथ होती है ,
एक अनोखी ही ख़ुशी अपने आस पास होती है।
शुरू करता हूँ ,बचपन की कहानी,
चौराहे पर खड़े और पकडे हाथ में एक बांस की नली।
सुहाना मौसम और अधखिली सी कली,
कभी दाँये तो कभी बाँये से, चल खेल कर आते है
की आवाज़ लगती रहती है।
ज़िंदगी जब अपने दोस्तों के साथ होती है ,
एक अनोखी ही ख़ुशी अपने आस पास होती है।
माचिस के डब्बो से पत्ते बनाये जाते ,
पुराने ब्लेड के पैकेट उस पर सजाये जाते,
बड़े हुए तो समझा, ये दोस्ती के रिश्ते खुद ही बनाये जाते,
जिनकी हर ठिठोली जहन में खुद से बात करती रहती हैं,
जब साथ गुजारे पलो की याद साथ होती हैं।
ज़िंदगी जब अपने दोस्तों के साथ होती है ,
एक अनोखी ही ख़ुशी अपने आस पास होती है।
मेरे दोस्तों ने,इस दोस्ती को कुछ ऐसा बनाया ,
जैसे रंगों में सजी ,एक ख़ूबसूरत सी काया,
अपनी ही काया के पीछे भागता अपना ही साया।
हम सोचते है निरंतर , ये सम्बन्ध कभी न टूटे ,
खुद ही बताओ दोस्तों------
किससे करू फ़रियाद की , ये साथ कभी न छूटे।
मैं खुद महसूस करता हूँ , तन्हाईयाँ सन्नाटे की,
जब साथ छूटने की एक ख़लल मेरे दिल में होती हैं ,
ज़िंदगी जब अपने दोस्तों के साथ होती है ,
एक अनोखी ही ख़ुशी अपने आस पास होती है।
