poems, short stories, Shayari
भीड़ के कंधो पे, वो लाश भी न उठ सकी भीड़ के कंधो पे, वो लाश भी न उठ सकी
अपनी ही काया के पीछे भागता अपना ही साया अपनी ही काया के पीछे भागता अपना ही साया