दीवाली की सफ़ाई
दीवाली की सफ़ाई
चलो उठो सब दिन निकल आया,
मेरी मम्मी चिल्लाई,
घर की होनी है ओवरहॉलिंग
दीवाली जो आयी।
झाड़ू ले मम्मी ने पहले पंखा किया बंद,
ले धपा-धप मारने लगी जहाँ-जहाँ
दिखी गंद!
ठुनक ठुनक कर उठ हम बच्चे लेने लगे
जम्भाई,
मम्मी ने जब देखा ये तो उन्हें ज़ोर की
हँसी आयी।
झाड़ू रखी एक तरफ और लिया हमे
गोदी में,
प्यार से फेर हाथ सर पर वो ये बोली हमसे
देखो बच्चों, दीवाली पर लक्ष्मी जी हैं आती,
साफ सुथरा घर देख कर लक्ष्मी हैं बरसाती।
जब लक्ष्मी जी घर मे होंगी तो खूब बनेंगी
मिठाई,
और आएँगे वो खिलौने जो तू उस
दिन देख कर आई।
सोच लो अब क्या चाहिए तुम्हें,
मिठाई या पिटाई?
यह सुनकर मैंने भाई की तरफ
नज़र घुमायी।
भैया ने भी आँखों से किया मुझे इशारा,
मम्मी मुझे बताओ कहाँ कहाँ का करना है
सफाया।
मुस्कुरा कर मम्मी ने पापा को आँख मारी,
बोली, "बेटा सबसे पहले है तेरे कमरे की
बारी।
उसके बाद आएगा किट्टू के कमरे
का नंबर,
जिसका कूड़ा ज्यादा उसको डाँट
पड़ेगी बम्पर!"
मम्मी की बात सुन मैं तो चुपके से मुस्काई,
मैंने कुछ ही दिन पहले की थी
अपने कमरे की सफाई।
भैया को समझ न आया किधर को भागूँ,
बोला जल्दी से सबके लिए समोसे ला दूँ।
मम्मी बोली भागो मत मैं कुछ न करने वाली,
न किसी की डाँट और न मार पड़ने वाली।
त्योहार है प्यार भरा जिसको कहते हैं दीवाली,
इसीलिए मैंने पहले से ही कर ली सब तैयारी।
अब जाओ तैयार होकर सब कर लो नाश्ता,
फिर रंगोली से भर देंगे इस घर का हर रास्ता।
सुनकर कितना चैन मिला हमें हम क्या बताये,
जो जो काम कहे मम्मी ने झट से कर दिखाये।
सज धज कर पूजा कर के बस फूलझड़ी जलाई,
और इस तरह हमने इस बार की दीपावली मनाई।
