दादा जी
दादा जी
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आज चार साल बीत गए आपको देखे,
तरसती रो रही मेरी आंखे।
न कर सकूं आपसे कोई बात,
सोचा भी नहीं कि आएगी ऐसी रात।
आपकी क्या ही करूं गुणगान ,
आप थे ही इतने महान।
आपकी आदर्शपूर्ण बाते रहेगी सदा याद,
आप थे हमारी ताकत व हमारे संस्कारों की बुनियाद।
आपके जीवन में मैने बहुत कुछ देखा,
मेहनती व कर्मनिष्ठ बनना सीखा।
समय के पाबंद, कर्तव्य परायणता,
व हमेशा आगे बढ़ते रहना,
यह आप में देखा ।।
क्या ही वर्णन क्रम मैं आपका!
शब्द कम पड़ जाते हैं।
दिन की शुरुआत होती थी आपसे
शानदार दिन बीतता था
क्यूंकि पाता था आशीर्वाद आपका।
ऊंचा करूंगा मैं नाम आपका
पता चले सबको की यह पोता है किसका !
कर्म krun मैं ऐसे जिससे,
गर्व होंगे "जीवराज जी सिसोदिया।"
