छोटी छोटी खुशियाँ
छोटी छोटी खुशियाँ
कुछ छोटी छोटी चीजें बहुत खुशियाँ दे जाती थी,
क्युंकि तब मैं छोटी सी ही तो थी,
वो अम्मी की परियों की कहानी,
उनकी बादलों की दुनिया और उनकी रानी,
अम्मी की पूँछ बनकर उन्हे सारा दिन सताना,
और रात को कहानी सुने बिना नींद ना आना,
वो भारी बरकम से बैग और पर्स लेने का चाव,
25 दांतों वाली हंसी और बेफिक्री का भाव,
वो अम्मी का दुपट्टा और मेरी लाल रंग की फ्रॉक,
' ये पक्का आखरी गुडी होगी अम्मी,
देखो तो कितनी खूबसूरत है इसकी पौशाक'
तितलियाँ पकड़ने का चस्का और जुगनू का रात को जामगाना,
रूठ जाऊँ मैं अगर तो, सबसे उपर वाली छत पर मिलूँगी, वही है मेरा ठिकाना,
बड़े बनने की लालसा और साड़ी बांधने का चाव,
वो बारिश में नहाना और वो काग़ज़ की नाव,
ये छोटी छोटी यादें अभी भी बड़ी बड़ी खुशियाँ दे जाती हैं,
क्युंकि अभी भी मैं छोटी सी ही तो हूँ।
